राजस्थान की सबसे युवा सांसद और भरतपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली संजना जाटव ने हाल ही में वृंदावन पहुंचकर संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने महाराज से अपनी उलझन साझा करते हुए मार्गदर्शन मांगा।
### **सांसद बनने के बाद बदल गया जीवन**
संजना जाटव ने प्रेमानंद महाराज से कहा कि कुछ समय पहले तक वह एक साधारण महिला थीं, लेकिन अब वह सांसद बन चुकी हैं। इस नई भूमिका में आने के बाद उन्हें अपने परिवार और परिचितों के लिए समय नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि इस स्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए?
### **प्रेमानंद महाराज का प्रेरणादायक जवाब**
इस पर प्रेमानंद महाराज ने उत्तर दिया, **”पहले आपका परिवार छोटा था, अब बड़ा हो गया है। आपको हजारों लोगों की सेवा करने का सौभाग्य मिला है, जो आपने सांसद पद के माध्यम से प्राप्त किया है। इसलिए आपको प्रलोभन और भय का त्याग कर सेवा करनी चाहिए।”**
### **संसदीय सेवा भी है ईश्वर की पूजा**
महाराज ने आगे कहा कि यदि कोई व्यक्ति धर्मपूर्वक कार्य करे, प्रलोभनों से बचे और समाज सेवा में अपने पद का सही उपयोग करे, तो वही सच्ची ईश्वर भक्ति बन जाती है। उन्होंने कहा, **”यह सृष्टि स्वयं भगवान का स्वरूप है। यदि आपने समाज सेवा को ईश्वर की भक्ति मानकर किया, तो यह भी एक उत्तम साधना होगी। बीच-बीच में नाम जप भी करना चाहिए, जिससे मन को शांति मिले।”**
### **सांसद के रूप में जनसेवा को दिया महत्व**
प्रेमानंद महाराज के इस मार्गदर्शन के बाद संजना जाटव ने उनके आशीर्वाद लिए और समाज सेवा को सर्वोपरि रखने का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि वह जनसेवा को ही अपनी प्राथमिकता बनाएंगी और अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ करेंगी।
जनसेवा का संदेश
इस मुलाकात के दौरान संत प्रेमानंद महाराज ने यह संदेश दिया कि जनप्रतिनिधियों को अपने पद को एक सेवा का माध्यम मानना चाहिए, न कि केवल एक अधिकार। यदि निष्काम भाव से कार्य किया जाए, तो यह भी भगवान की पूजा के समान है।