भरतपुर (यशपाल सोलंकी) – भरतपुर जिले के उच्चैन क्षेत्र के गांव बहरारेखपुरा में राजीविका परियोजना के तहत महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयां छुई हैं। नेहा राजीविका SHG की महिलाएं, जिनमें मंजू, अनीता वैष्णव, नेहा और नीरज शामिल हैं, फैंसी साड़ियां, पेपर कवर, लिफाफा, फैंसी कैरी बैग और बेंगल वर्क्स जैसे उत्पाद बनाकर अपनी आय बढ़ा रही हैं।
*आत्मनिर्भरता की कहानी:*
– *राजीविका परियोजना की भूमिका*: इस परियोजना के तहत महिलाओं को 15 हजार और 75 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई, साथ ही आत्मनिर्भर बनने के लिए निशुल्क प्रशिक्षण भी दिया गया।
– *महिलाओं की कड़ी मेहनत*: महिलाओं ने हाथ से काम शुरू किया और कई कठिनाइयों का सामना करते हुए आगे बढ़ीं। अब वे अपने समूह के नाम से राजीविका CLF से 6 लाख रुपये का लोन लेकर बड़े स्तर पर काम कर रही हैं।
– *लखपति दीदी योजना का लाभ*: इन महिलाओं को लखपति दीदी योजना के तहत 1 लाख रुपये की व्यक्तिगत लोन बैंक से प्राप्त हुई है, जिससे वे अपने रोजगार को और बेहतर बना रही हैं।
*आर्थिक स्थिति में बदलाव:*
– *आय में वृद्धि*: महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।
– *राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मेलों में भागीदारी*: राजीविका स्वयं सहायता समूह की मदद से महिलाएं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सरस् मेलों में अपनी स्टॉल लगा रही हैं, जिससे उन्हें एक नई पहचान मिली है और अच्छी बिक्री हो रही है।
– *आमदनी*: महिलाओं की आमदनी 20 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह तक हो रही है।
इन महिलाओं की कहानी से पता चलता है कि राजीविका परियोजना और लखपति दीदी योजना जैसी पहलों से महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकती हैं.