दैनिक खबर शेखावाटी न्यूज़ रमेश प्रजापत अलावड़ा – ग्राम पंचायत अलावड़ा कस्बे में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। इंग्लिश मीडियम स्कूल से पढ़ाई कर कर घर लौट रहा एक 11 वर्षीय बच्चा लवेश जाटव रास्ते में जगह-जगह बंदरों ने नोचा सिर व शरीर पर चोटे आई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
पीड़ित बच्चे के पिता सुनील जाटव ने बताया कि घटना उस समय हुई जब उनका बेटा विद्यालय से पढ़कर घर की ओर लौट रहा था। रास्ते में बैठे आतंकी बंदरों का एक झुंड छत पर बैठे हुए थे। डर के मारे बच्चा भागने की कोशिश कर रहा था, तभी बंदरों ने पीछे से हमला कर दिया।उन्होंने बताया कि बंदरों ने उनके बेटे को नोच-नोच कर खाया, शोर मचाने पर आसपास के पड़ोसी बाहर निकले और बंदरों को भगाया।जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसके सिर ओर शरीर पर जगह-जगह गंभीर चोट है। घायल बच्चे को अलावड़ा अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने बंदर काटने का टीका लगाने से मना कर दिया। इसके बाद बंदरों से जख्मी बच्चों का पिता अपने घायल बेटे को लेकर रामगढ़ हॉस्पिटल गए, जहां उन्हें उपचार मिला।स्थानीय लोगों का कहना है कि बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो गया है। झुंड में घूम रहे बंदर लोगों पर हमला करते हैं और उन्हें काटते-नोचते हैं।ग्रामीणों ने बताया कि अलावडा सीएससी पर सुविधाओं का अभाव चल रहा है यहां पर ना तो बंदरों का टीकाकरण होता है ना ही कुत्ते काटने का टीका लगाया जाता है। मरीज को बीमारी का भी पूरा इलाज नहीं हो पाता जिससे लोगों को रामगढ़ या अलवर के लिए जाना पड़ता है।ग्रामीणों ने कई बार सीएससी पर सुविधाओं को पूरा करने के लिए अनेकों बार उच्च अधिकारियों से मांग कर रखी है लेकिन समाधान नहीं हो पा रहा है।इस समस्या को लेकर विभागीय अधिकारियों और वर्तमान सरपंच और विधायक सुखवंत सिंह से शिकायत की है, लेकिन आज तक बंदरों को नहीं पकड़ पाए हैं।
वर्जन
अलावडा सीएचसी डॉक्टर बिसन ने बताया कि कुछ दिन पहले तो हमारे पास टिका था लेकिन अब नहीं है बंदर काटने वाले मरीज रामगढ़ ही लगवाना पड़ेगा।