दैनिक खबर शेखावाटी न्यूज़ डीग – भरतपुर: राजस्थान के ऐतिहासिक वीर योद्धा महाराजा सूरजमल की 18 फीट ऊंची एवं 10 क्विंटल वजनी प्रतिमा का निर्माण गाजियाबाद में किया गया है। इस मूर्ति का निर्माण बंगाल के प्रसिद्ध मूर्तिकार तपन दास द्वारा अग्नि रोधी कार्बन फाइबर से किया गया है, जो इसे मजबूती और दीर्घायु प्रदान करता है। इस भव्य मूर्ति को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से बड़ौदा मेव होते हुए मुढ़ेरा पथरोड़ा (डीग) तक लाया गया। रास्ते में विभिन्न स्थानों पर सर्व समाज द्वारा पुष्प वर्षा कर इस शोभायात्रा का भव्य स्वागत किया गया।
भव्य शोभायात्रा और मूर्ति स्थापना
विशाल जनसमूह की उपस्थिति में शोभायात्रा महाराजा सूरजमल स्मारक, बुर्जा मंदिर, मुढ़ेरा पथरोड़ा (डीग) पहुंची। वहां क्रेन की सहायता से प्रतिमा को 13 फीट ऊंचे फाउंडेशन पर स्थापित किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र के गणमान्य लोग, समाजसेवी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
अनावरण समारोह: 13 फरवरी को होगा ऐतिहासिक अनावरण
महाराजा सूरजमल की इस भव्य प्रतिमा का अनावरण 13 फरवरी को उनके 319वें जन्मदिवस के अवसर पर किया जाएगा। इस ऐतिहासिक क्षण का उद्घाटन पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह करेंगे। यह आयोजन समाज के लिए गौरव का विषय है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां
नरदेव बेनीवाल हैंड पार्टी की शानदार रागनी प्रस्तुति होगी, जो इस आयोजन को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाएगी।
शिक्षा, खेलकूद और अन्य क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाली प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा।
इस ऐतिहासिक आयोजन में राजस्थान और आसपास के विभिन्न जिलों से लोग भाग लेंगे।
महाराजा सूरजमल: एक वीर योद्धा की गौरवगाथा
महाराजा सूरजमल को जाट सम्राट के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 1753 में दिल्ली पर विजय प्राप्त की थी और उनके शासनकाल में भरतपुर एक शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा। वे सर्वधर्म समभाव के समर्थक और कुशल रणनीतिकार थे। उनकी वीरता और नेतृत्व को सम्मान देने के लिए यह मूर्ति स्थापित की गई है, जिससे आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष और योगदान से प्रेरणा ले सकें।
समाज के लिए गौरव का क्षण
डीग में स्थापित हो रही यह भव्य प्रतिमा न केवल महाराजा सूरजमल के गौरवशाली इतिहास को दर्शाती है, बल्कि यह युवाओं को उनके बलिदान और पराक्रम से प्रेरित करने का कार्य करेगी। यह आयोजन समाज को एकता, वीरता और सांस्कृतिक समृद्धि की सीख देगा।